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संथाली, मुण्डारी, हो और कुडूख के शब्दों को भी मिले देशज श्रेणी में जगह, हिंदी दिवस पर कल्पना सोरेन ने रखी ये मांग 

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रांची 

जेएमएम नेता और गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने लोगों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। इसी के साथ उन्होंने झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर सवाल उठाया है। इनको देशज भाषा की श्रेणी में रखने की वकालत की है। जेएमएम नेता ने इस बात सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट जारी किया है। पोस्ट में उन्होंने कहा है कि हिंदी भाषा की बनावट हमारे समाज, हमारे देश की बनावट से मिलता जुलता है। जिस ढंग से देशज एवं विदेशज शब्दों को हिंदी ने अपने शब्दकोष में शामिल किया है, वह अनुकरणीय है। 

सोरेन ने आगे कहा, हिंदी के विकास को लेकर काम कर रही संस्थाओं से मेरी अपील होगी की आने वाले समय में संथाली, मुण्डारी, हो, कुडूख जैसी क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं के शब्दों को भी देशज शब्द के रूप में जगह दिया जाए। इससे दो भाषा - भाषी को मिलने का अवसर मिलेगा। 


 

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